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26 January speech in Hindi short Speech and Long Speech

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26 January speech in Hindi Long speech

इस लंबी 26 January speech स्पीच को पढ़ते हुए आप गौरवान्वित महसूस करेगें आप जिस स्टेज पर पड़ के सुनाएंगे बहा से आपके प्रति तालियो की आवाज़ कम नही होगी। इस जोशीले भाषण से देश के प्रति लोगो की देश भक्ति जाग उठेगी। आइए शुरू करते हैं।

***26 January Speech***1st

“हम अपनी जान के दुश्मन को अपनी जान कहते हैं मोहब्बत की इसी मिट्टी को हिंदुस्तान कहते है, जो दुनिया में सुनाई दे उसे कहते हैं, खामोशी ! जो आँखों में दिखाई दे उसे तूफान कहते है,

परम सम्माननीय निर्णायक मंडल के सदस्यओ सभा में बैठे मान्यगण व्यक्ति में *नाम * देश प्रेम और राष्ट निर्माण के उपलक्ष पर अपने कुछ विचार साझा करना चाहता /चाहूंगी हूँ ,आजादी… आजादी का मतलब वही समझ सकता है जिसने कभी गुलामी की हो, हम सौभाग्यशाली है कि हमने स्वतंत्र भारत में जन्म लिया यू तो आजादी की लौं 1857 में जल चुकी थी , जो विशाल बन कर 1947 में हमारे देश को आजाद कराएं, प्राचीन मध्यकालीन और वर्तमान भारत के उदाहरणों से स्पष्ट करना चाहूँगा /चाहूंगी कि जब हम फिरंगियों के फेरे में फंस गए थे तो रंग दे बसंती चोला की एक आवाज पर टोले के टोले उमड़ आते थे,

और उनके बन्दे मातरम के नरो से खून में 5-5 डिग्री का तूफान अंग्रेजी शासकों के जड़ो को हिला के रख देता था, लोग मर जाते थे मिट जाते थे फांसी चड जाते थे, तो वह भी अपनी देशभक्ति को साबित कर रहे होते थे , क्योंकि ये उस दौर की कसौटी थी, उसके बाद 1962, 1965, और 1971 के युद्ध में अपना सुहाग गवा देने बाली औरत जब घर के हालत ये हो जाया करते थे, के प्यार भरपूर गया मांग का सिंदूर गया नन्हे नौनिहालों की लँगोटियाँ चली गई छोटी-छोटी बेटियों की चोटियां चली गई बाप कमाई गई भाई की पढ़ाई गई ऐसा एक विस्फोट हुआ की पता ही चला नहीं पूरे जिस्म की वोतिया चली गई और आपके लिए तो एक आदमी मरा है,

साहब लेकिन मेरे घर की तो रोटियां चली गई मेरे घर की तो रोटियां चली गई बाले हालत पैदा हो जाने के बावजूद भी एक माँ अपने बेटे को दुश्मनों की धज्जियां उड़ाने के लिए शरहद भेज देती थी और उसे पत्र लिख कर भेजा करती थी कि अम्मा ने ख़त लिखा है बड़े ही चाओ से पुत्र मेरे न घबराना 1 इंच भी पीछे ना हटना चाहे इंच-इंच कट जाना चाहे इंच-इंच कट जाना इस तरह पूरा देश अपनी देशभक्ति साबित कर रहा होता था तब देश बलिदान मांगता था मर जाने को कहता था मिट जाने को फांसी चड जाने को कहता था,

किंतु आज देश मर जाने को मिट जाने को फांसी चढ़ा जाने को नहीं कहता मेरे विचारों में यदि कोई व्यक्ति पूरी ईमानदारी पूरी मेहनत पूरी लगन से करे तो बही सबसे बड़ा देशभक्त है, में नहीं मानता/मानती facebook whatsapp dp को तीन रंगों में रंगना देश भक्ति है, यदि आप कहेगें साल में दो बार हाथ में तिरंगा ले लेना देश भक्ति है तो में पूछना चाहूँगा/ चाहूंगी की फुटपाथ में रहने वाला वह बच्चा ट्राफिक कि लाइनों में नंगे पांव हाथ में जब तिरंगा बेच रहा होता है तो क्या उसे उसकी देश भक्ति कहोगे ये उसकी देश भक्ति नही ये उसके पेट की भूख की शक्ति है जो उसे ऐसा करने पर मजबूर करते है, क्योकि ये न मस्जिद जानते हैं, न शिवालो को जानते है जो पेट के भूखे होते हैं ना वह सिर्फ और सिर्फ भोजन के निवालो को जानते हैं,

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अपने परिवार पाने समाज अपने देश के लिए समर्पण का भार है देशभक्ति और हर देशद्रोही के जीवन में आने वाला तूफान है हमरी सच्ची देश भक्ति ताकि हर देशद्रोही ये समझ सके कि अगर तू परिंदा है तो ये असमान तेरा है अगर तू दरिंदा है तो ये शमशान तेरा है भाई चारे से रहना है तो रह इस जमीन पर वरना यह कब्र भी तेरी है और ये कब्रिस्तान तेरा है और कब्रिस्तान तेरा है लेकिन देशद्रोही से जादा देशभक्ति तब बहात होती है जब एक बेटा अपने बूढ़े माँ बाप को वृधाश्रम की चौखट पर छोड़ आता है करहा उठती है वो देश भक्ति जब मुसीबत में फसे लोगो कि जान बचने से जादा हम सेल्फी ले कर अपने लाइक बढ़ने में लगे रहते है,

आज के इस दौर में वो युवा जिनके ऊपर जिम्मे दरी थी अपने देश अपने समाज अपने राष्ट कि आशाओ को बंधे रखने की बही युवा अब 6y4 इंक अपनी स्क्रीन पर अपनी कोमल उंगलियो के घर्सन मात्र से अपनी भाबनाओ की एमोजी भेज रहा है “चार बोतल वोदका काम मेरा रोज का भारत का भविष्य तबाह कर रख्खा है, हम न एक ऐसे समाज में जीते है जहा लडको से बात करता देख भाई हडकाते है लडको से बात करता देख भाई हडकाते है, बही भाई अपनी गर्लफ्रेंड के किस्से घर में हस हस के सुनते है और में बतादू महिला सुरक्षा के मामले हम आज भी चौथे नंबर पर आते है हम न एक ऐसे समाज में जीते है,

जहां पत्थर की मूरत को लगते हैं 56 भोग और भूखे नंगे तडपते सो जाते हैं लोग जाती है लोग मजदूर को मजदूर समझिए मजबूर नहीं गरीब को काम दीजिये दान नहीं और अगर दान देने के इच्छुक है तो जीते जी रक्तदान कीजिए और मरने के बाद अंग दान देकर किसी मरते हुए को जीवन दान दीजिये यही सच्ची देश भक्ति है और यही सच्चा राष्ट प्रेम है न सरकार मेरी है न रव मेरा है बस इतनी सी बात का गुरुर है मुझे कि में भारत की हूँ और ये भारत मेरा, परंतु एक बीमारी हमारे समाज में नजर आती है,कहा जाता है हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र है,जहा हिंदू पैदा होते है मुस्लिम, सिख, ईसाई, पैदा होते है। लेकिन बदकिस्मती है

अब इंसान पैदा नहीं होते है,और मेरे विचारो से ना हिंदू की जरूरत है ना मुसलमान की जरूरत है, राष्ट निर्माण के लिए केबल अच्छे इंसान की जरूरत है। जरा सोच कर देखिए ये पेड़ पौधे और सखाये परेशान हो जाए अगर परिंदे भी हिंदू मुसलमान हो जाए, एक शैक्षिक बीमारी हमारे समाज में हमे नजर आती है और बड़े आश्चर्य की बात है जिस देश ने पूरी दुनिया को तकक्ष्शिला और नालंदा देकर कर के विस्वाध्या शिक्षक की बुनिया रखी आज उसके सौसवासे विश्वविद्यालो में हमारा एक भी विश्वविद्याले खड़ा नही हो पाता जहा एक ओर हमारे पास IIT, IIM,NIT, जैसे शिक्षण संस्थान है वही दूसरी ओर इस देश के गरीबों को बेरोजगारी की जमात में खड़ा करके उनके हाथ में सर्व शिक्षा अभियान का झुनझुना पकड़ा दिया जाता है।

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और में बता दू इस शैक्षिक बीमारी का केबल एक कारण ये की हमारे देश की शिक्षा नीति दो तरहा के लिए बनती है, पहला वो जो विद्यावान है और दूसरा वो जो धनवान है। इसी तरह की कई गजब की बीमारियां है और ये जो बीमारियो की जड़ है ना ये हमारा अंधविश्वास है मेरे विचारो से अपनी सफलता के लिए मंदिरों में जा जा कर नारिया फोड़ फोड़ कर भगवान को रिश्वत लगता रहे हमारे समाज का ही शिक्षित वर्ग का ही बिल्ली के रास्ता काट जाने पर खड़े हो जाना अपना घर अपनी जाति को ऊंचा मानकर दूसरो के धर्म की अवहेलना करता रहेगा, तब तक न तो इस देश से अंध विश्वास खत्म होगा नही हमारा राष्ट निर्माण संभव होगा हमारी संस्कृति हमारी सभ्यता को दुनिया ने शीश नवाया है।

तो क्यों आस्था के नाम पर अंध विश्वास भरा है। मेरे विचारो में हमारा राष्ट निर्माण तब संभव होगा जब महिलाओं की पूजा नही उनकी इज्जत की जाएगी। राष्ट निर्माण तब संभव होगा जब हम जाति अग्रश्चण नही बल्कि सामाजिक शक्तिकर्ण पर बात करेंगे राष्ट निर्माण तब संभव होगा स्वच्छता अभियान में केबल सरकार नही बल्कि सड़क पर चलने वाला हर एक नागरिक हाथ बटाएगा । स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत को दिल से अपनाएगा। असल मायने में हमारा राष्ट निर्माण तब संभव होगा जब एक गरीब बच्चा मध्यान पूजन के लिए नही बल्कि ज्ञान अर्चन के लिए सरकारी स्कूलों में जायेगा ।

और हमारा राष्ट निर्माण तब तक संभव नहीं होगा जब तक एक नगरी चरित्ररिक भ्रष्ट और मानसिक रूप से दिवल्या और धर्मिक रूप से अंधा राजनेतिक से गंदा सुवेछिक मान मूल्यों के अकड़ो में जिन्या सिन्या पेप्न्ड मई अखंड भारत को खंड खंड करता रहेगा, तब तक हमारा राष्ट निर्माण संभव नहीं होगा। बड़ी बड़ी बाते नही छोटी छोटी कोशिशें करनी होगी, क्योंकि ठोकर हमे पहाड़ से नही पत्थरो से लगती हैं। I being an Indian, I being a student, I being a citizen of this motherleand, I am proud that I am Indian.

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और में सेल्यूट करना चाहूंगा हमारी रक्षा के लिए शरहद पे खड़े हर एक उस जवान को इस देश की पुलिस प्रशासन और किसान को और हर एक व्यक्ति को जो अपना काम पूरी लगन और पूरी ईमानदारी से करते है। जिनके सिबा राष्ट्र निर्माण की कल्पना करना असंभव सा लगता है। भारत की बेटा/बेटी कहता/कहती हूं राष्ट का निर्माण तब संभव होगा जब में आप हम सब मिलकर प्रयास करेंगे क्योंकि हमारे देश की जिम्मेदारी नहीं हमे आगे लेजाने की क्योंकि ये हमारी जिम्मेदारी अपने देश को आगे ले जाने की अपने राष्ट को आगे लेजाने की अपने वतन को आगे ले जाने की तो अंत में बस यही कहना चाहूंगा/चाहूंगी मेरा हिनुस्तान महान था महान है महान रहेगा” ।। जय हिंद जय भारत ।।

26 January speech in Hindi short Speech

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26 January speech in Hindi इस छोटी सी स्पीच को आप कही पर छोटे मंच पर सुना सकते है। इस 26 जनवरी आप भी अपने देश हित में आगे बड़ कर लोगो का हौसला बने।

***26 January Speech***2ed

“गणतंत्र दिवस ध्वजारोहड़ के अवसर पर उपास्थि विभाग के चेयरपर्सन अधिकारी और कर्मचारिओ ( ग्राम सामुदायिक केंद्र पर मुखिया, ग्रामपंचायत सदस्या गड़, और समस्त ग्राम वासियों ) और ( विद्यालय प्रगाढ़ में मौजूद प्रधानाचार्य, अध्यापक गड़ और विद्यार्थियों का स्वागत करता हूं।

भारत के 73वें गणतंत्र दिवस पर हम ऐसे संकल्प ले जिससे हमारी कानून व्यवस्था का पालन हो, भारतीय संविधान में लिखी धाराओं के प्रति जागरूक हों। देश का कोई भी नागरिक अपने पुरुषार्थ और योग्यता से देश के सर्वोच्च पद पर आसीन हो सकता है। यही हमारे गणतंत्र होने की प्रमाणिकता है। बस जरूरत है हम अपने शहीदों को याद करें जिन्होंने स्वतंत्रता दिलाई और संविधान नीतियों और गणतंत्र के संस्थापकों के सपनो के भारत का निर्माण करें। आपने मुझे यहां अपने विचार प्रकट करने का अवसर दिया, इसके लिए में आप सभी का आभार व्यक्त करता हूं। इन दो पंक्तियों के साथ अपनी वाणी को विराम देता हूं। ।। कर हौसला बुलंद चढ़ जा शरहद की चोटी पर, हम इंकलाब लिख देंगे दुश्मनों की छाती पर, हम एक है और एक रहेंगे राष्ट्र नही बाटने दूंगा, है नाम हमारा आर्यावर्त तिरंगा नही झुकने दूंगा”।। जय हिंद जय भारत।।

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